
ज्योति भी तू, ज्वाला भी तू है,
मोती भी तू, माला भी तू है,
प्रश्न भी तू, और उत्तर भी तू,
पावन भी तू, सुंदर भी तू है।
तेरे तेज़ से रौशन संसार,
तेरी अविरल छाया अपरम्पार,
नारी तेरे कितने रूप कितने रंग,
हर रंग में तूने रंगा परिवार।
तूने सींचा और तराशा,
तू शक्ति की है परिभाषा,
तेरी निर्मल छाया से ही,
पूर्ण होती हर अभिलाषा।
घर आँगण को संवारे,
अपने कर कोमल से,
तेरी परछाई के बिन,
हम होते ओझल से।
तू माँ बहन और बेटी है,
बनी तू बहू और भाभी,
हो चाहे उलझनें कई,
तेरे पास रिश्तों की चाभी।
त्याग समर्पण की तू मूरत,
निष्ठा की तू भाषा है,
नारी तू है कितनी सुंदर,
जीवन की तू आशा है।।
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Thank you.
Nice ! 🙂
Thank you Rajeev!