
जब अँधेरा मुझे सताता,
रैन का सूनापन मुझे डराता,
मातृ किरण मुझमें समाई,
माँ, मैं तेरी परछाई।
तेरे माथे बिंदिया चमके,
हाथों में चूड़ियाँ खनके,
चाँद सी खिलती जब तू मुस्काई,
माँ, मैं तेरी परछाई।
तेरे हाथों की वो नरम रोटियाँ,
हलवा संग वो ढेरों पूरियाँ,
घर से दूर बरबस मुझे याद आईं,
माँ, मैं तेरी परछाई।
जग का बैर है बड़ा कँटीला,
ताप द्वेश है बड़ा विशैला,
तेरे गोद आकर मैंने जन्नत पाई,
माँ, मैं तेरी परछाई।
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पढ़के माँ की याद आ गयि
Thank you so much.
Super se bhi bahut uper hai ye poem for great lady
MOTHER
Thank you!